Wednesday 5 October 2016

खंडवा में इंदिरासागर के बैकवाटर से सटे छाल्पीखुर्द गांव के किसानों का दर्द



संदीप सोनी | बीड़ (खंडवा)

इंदिरासागर के बैकवॉटर में डूबा छाल्पीखुर्द गांव का दो किमी लंबा रास्ता। खड़ी फसल की कटाई और ढुलाई के
लिए खेतों में जाना भी जरूरी। करीब 4 से 5 फीट गहरे और जोखिमभरे बैकवॉटर से गुजरने के लिए कोई साधन भी नहीं, तो ऐसे में भैंस और बैलों की पूंछ ही सही। यह नियति बन गई है इस गांव के किसानों की।
क्योंकि खेतों तक पहुंचने के लिए यही एकमात्र रास्ता है। किसान कहते हैं बैकवॉटर के डर से खेती करना छोड़ तो दे तो भूखों मरने की नौबत आ जाए। पांच साल से रास्ता ऊंचा करने और खेतों की जमीन को डूब
में शामिल कर मुआवजे की मांग कर रहे हैं, लेकिन सुनवाई अब तक नहीं हुई।

100 एकड़ खेत के चारों ओर भर जाता है पानी छाल्पीखुर्द के 30 किसानों की 100 एकड़ जमीन ऐसे स्थान पर है जिसके चारों ओर बांध का बैकवाटर भर जाता है। खरीफ फसलों के लिए डूब चुके रास्ते से भैंस, बैलों की पूछ और बैलगाड़ी पर बैठकर खेतों में जाना पड़ रहा है। यह स्थिति इंदिरासागर बांध में 262 मीटर जलभराव पर बनती है। किसानों का कहना है एनएचडीसी ने हमारी जमीनों को डूब में शामिल नहीं किया। पानी भरने के बाद रास्ता बनाने की मांग की
लेकिन ध्यान नहीं दिया। 2011 से कलेक्टर और एनएचडीसी महाप्रबंधक से इसकी मांग कर रहे हैं। या
तो हमारी जमीनों का मुआवजा दें या रास्ता बना दिया जाए। आदिवासी किसान मोहन ने बताया ऐसी खेती
करने से मर जाने का मन करता है।

-Source Dainik Bhaskar Khandwa
Posted JAISHREEDADAJI@WORLDNEWS